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Swarn Shakti Bhasma (Ardh Course - 250gm)
5. पञ्च भस्म
स्वर्ण भस्म, हीरा (वज्र) भस्म, बंग भस्म, अभ्रक भस्म, लोह भस्म व
25 पञ्चविंशतिः जड़ी
कीड़ा जड़ी, भृंग राज रस, शुद्ध शिलाजीत, केशर, अश्वगंधा, केवांच, शंखपुष्पी, अंबर, जंगली गोखरू, मोती पिष्टी, पूर्णचन्द्रोदय रस, शुद्ध सतावर, मुक्ता शुक्ति, कुक्कुटाण्डत्वक, काली मिर्च, कौंच बीज, विधारा, निर्गुण्डी, मालकांगनी, जायफल, सारस्वतारिष्ट, खरैटी, इलायची, मण्डूकपर्णी तथा ब्रह्म दंडी से युक्त आयुर्वेद कि असली ताक़त एक साथ !
प्रमुख गुण : बुद्धि वर्धक, शक्ति -वर्धक, ओज वर्धक,
प्रमुख उपयोग: दुर्बलता, जीर्ण ज्वर, कास-श्वास, मस्तिष्क दुर्बलता, उन्माद, त्रिदोषज रोग, पित्त रोग
हृदय cardiac stimulant
रसायन immunomodulator
कान्तिकारक complexion improving
आयुष्कर longevity
मेद्य intellect promoting
रस (taste on tongue): मधुर, तिक्त, कषाय
गुण (Pharmacological Action): लघु, (Potency): शीत , विपाक (transformed state aft मधुर
स्वर्ण शक्ति भस्म खिलाड़ियों के लिए एक वरदान है, कुश्ती करने वाले पहलवान, वेट लिफ्टिंग, बॉक्सिंग, रेसिंग करने वाले खिलाड़ी अपने बल और शक्ति को बढाने के लिए प्रति वर्ष इसका इस्तेमाल करते हैं और खेलों में देश का नाम रोशन करते हैं |
विद्यार्थी अपनी मानसिक शक्ति को बढाने के लिए इसका इस्तेमाल करता है तो दिमाग में स्थिरता और एकाग्रता लाने में मदद मिलती है |
साथ ही चेहरे पे तेज और आभा बनी रहती है |
स्मरण शक्ति को विकसित करने के साथ-साथ स्वर्ण शक्ति भस्म से आत्मविश्वास बढाने में और आत्म नियंत्रण में भी काफी मदद मिलती है |
यह हृदय, मस्तिष्क स्नायुजाल, और शरीर के प्रत्येक अंग पर एक प्रकार का स्फूर्तिदायक प्रभाव डालता है, जिससे शरीर का ओज और कांति बढ़ती है, शरीर में स्फूर्ति और मन में उमंग पैदा होती है और रक्त संचालन की क्रिया में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है, जिससे रोग के कीटाणु रक्त में नहीं बढ़ सकते।
- इसकी सबसे बड़ी गारंटी ये भी है कि इसके इस्तेमाल के 1 - 2 साल के बाद भी कोई समस्या दुबारा आती है तो उसका इलाज निशुल्क किया जाता है |
मात्रा : एक छोटी चम्मच (मसाले वाली), सुबह शाम खाना खाने के बाद, हलके गर्म दूध, शहद या घी के साथ !
परहेज़ : इसमें आपको तली हुई चीजों, लाल मिर्च, मसालेदार, अधिक मीठा, गर्म चीज़ें, शराब, मांस, चावल, खटाई, नींबू, चटनी, मौसमी, अचार वगैरह के 🚫 परहेज रहेंगे ! इसके साथ नियत समय पर ताजा सात्विक भोजन भूख से कम मात्रा में चबा चबा के खाना चाहिए ! रोजाना शारीरिक परिश्रम के साथ व्यायाम, आसन, प्राणायाम करना और महीने में कम से कम 1 या 2 दिन का उपवास भी अच्छी सेहत का राज है !
आयु वर्ग: इस दवा को 15 से लेकर 65 वर्ष तक कि आयु में कोई भी स्त्री-पुरुष ले सकते हैं !
हिदायतें : महिलाओं में प्रग्नेंसी के वक़्त या स्त्री-पुरुष किसी भी प्रकार के शारीरिक ऑपरेशन के तीन महीने तक इस दवा का सेवन ना करें !
ध्यान दे ! हमारी समस्त दवाएं अपने प्रभाव और परिणाम से आयुर्वेद की कसोटियों पे परिपूर्ण हैं, जिनके नियमित व उचित मात्रा में उपयोग से शरीर में किसी प्रकार का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है ! दवा के इस्तेमाल से पहले उसके सेवन कि विधि, मात्रा और परहेज़ एक बार ध्यान से पढ़ लें !